शास्त्रों में"मंगल कलश" का बहुत महत्त्व होता है। इनमेंसेकुछ बबदं ओु ंपर संक्षिप्त मेंवववरण ककया
गया है।
हहदं ूधममकी ववशेषता यह हैकक वह वैज्ञाननक ज्ञान को प्रतीकों मेंबााँधकर धार्ममक आस्त्थाओंसेजोड़ता
है। हहदं ूरीनत के अनुसार जब भी कोई पजू ा की जाती हैतो मंगल कलश की स्त्थापना अवश्य की जाती है।
समुद्र मंथन की कथा बहुत प्रर्सद्ध है- समुद्र जीवन, सारेरत्नों और उपलब्धधयों का स्त्रोत है।
देवी और दानवी शब्ततयों नेंइस समुद्र का मंथन मंदराचल पवमत की मथानी (मटकी) और वासुकी (नाग)
की रस्त्सी बनाकर ककया। मंदराचल- हहदं ूपौराणणक कथाओंमेंएक पवमत और वासकु ी - आठ नाग राजाओंमें
सेएक कश्यप केपुर मानेजातेहैं इनका उपयोग समुद्र मंथन के समय ककया गया। पहली दृब्टट मेंयह
कल्पना लगती हैतयोंकक पुराणों मेंबहुत सी कथाएाँहैंलेककन उनका अथमबहुत गहरा है।
जब कलश का पार जलभरा होता हैतो जीवन की उपलब्धधयाओंका नया जीवन हदखाई पड़ता है। अथामत्
सब्ृटट को ननयम सेचलानेवालेववटण, ुरूद्र और ब्रह्मा तीनों गणु ों की शब्ततयााँइस ब्रह्माण्ड रुपी कलश में
समायी हुई हैं। समस्त्त समुद्र, द्वीप, येधरती, ब्रह्माण्ड के संववधान चारों वेदों नेइस मंगल कलश मेंस्त्थान
र्लया हुआ है। वैज्ञाननक पि के अनुसार इस मंगल कलश सेपूरेब्रह
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